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यह पूरा मामला
दरअसल, इन दिनों सहारनपुर में स्कूली वाहनों की जांच चल रही है। जिलाधिकारी सहारनपुर पीके पांडे के आदेश पर पूरे जिले के स्कूल वाहनों की चेकिंग कराई जा रही है। इन्हीं आदेशों के अनुपालन में मंगलवार को पैसेंजर टैक्स अधिकारी राकेश मोहन स्कूली वाहनों की चेकिंग कर रहे थे। इन्होंने स्कूली बच्चों को लेकर आ रही एक टाटा सूमो को रोका, जिस पर उत्तराखंड पुलिस का लोगो भी लगा हुआ था। इस गाड़ी पर ना तो कोई परमिट था । बच्चों को ठूंस-ठूंस कर इस टाटा सूमो संख्या यूए 08 सी 9685 में भर रखा था। पैसेंजर टैक्स अधिकारी ने जैसे ही चालान काटने के लिए इस टाटा सूमो के नंबर को ऑनलाइन दर्ज किया तो कार के मालिक का नाम देखकर वह हैरान रह गए। दरअसल, यह गाड़ी डीजीपी उत्तराखंड के नाम रजिस्टर्ड है और इन दिनों हरिद्वार एसएसपी के अंडरटेकिंग दिखा रही है। इस पर परिवहन विभाग के अफसरों ने गाड़ी चला रहे चालक कामिल पुत्र से पूछताछ की तो इस बारे में वह भी कुछ नहीं बता पाया। उसने कहा कि उसे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि यह गाड़ी किसके नाम है। मैं पिछले कई दिनों से इस गाड़ी को स्कूली बच्चों के लिए इस्तेमाल कर रहा हूं। परिवहन विभाग के अफसरों ने फिलहाल इस गाड़ी को सीज करते हुए इस पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है।
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ऑक्शन में तो नहीं ली गई डीजीपी की कार
बड़ा सवाल यह है कि आखिर डीजीपी उत्तराखंड के नाम की गाड़ी सहारनपुर में कैसे पहुंची और पुलिस का लोगो लगे हुए यह गाड़ी किस तरह से बच्चों को ढो रही थी। इस पूरे मामले की जांच परिवहन विभाग कर रहा है लेकिन अभी तक यह आशंका जताई जा रही है कि सहारनपुर के कबाड़ियों ने इस गाड़ी को उत्तराखंड में हुए ऑक्शन में लिया हो होगा। ऑक्शन में निष्प्रयोजन गाड़ियां नष्ट करने के लिए दी जाती है, लेकिन अगर इस गाड़ी को नष्ट नहीं किया गया तो यह बड़ी जालसाजी है। अगर यह आशंका सही निकली तो बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है कि ऑप्शन में ली गई अन्य सरकारी गाड़ियों का भी इसी तरह से दुरुपयोग तो नहीं किया जा रहा।